‘इंडिया अलाइव शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल‘ में प्रदर्शित होगी विशेष बच्चों द्वारा बनाई फिल्में

 आगामी 25 नवंबर को शाम 6 बजे आर्मी एरिया स्थित सप्त शक्ति सभागार में आयोजित होने वाले 'इंडिया अलाइव शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल 2019' में विशेष बच्चों द्वारा बनाई गई सात लघु फिल्में प्रदर्शित की जाएगी। ये फिल्में एनजीओ - रेज आशा की एक किरण और फिल्मबग मुम्बई द्वारा प्रदर्शित की जा रही है। रेज आशा की एक किरण एनजीओ के सह-संस्थापक एवं प्रेसीडेंट, श्री गुरिंदर विर्क ने आज यह जानकारी दी।

उन्होंने आगे बताया कि इस फेस्टिवल में बाल परिकल्पनाओं, दोस्तों एवं परिवार की बांडिंग, समाज की होने वाली त्रासदियों, संगीत के साथ संदेश देने वाली फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी। ये फिल्में हैं - कचरा बीनने वाले एक बच्चे कहानी पर आधारित 'अपुन का सिनेमा'। इसमें यह बच्चा जैसे ही एक बेकार पडे़ हुए केन को खोलता है, तो वह एक जादुई दुनिया में पहुंच जाता है। 'तुम्हारी अधुर सोच' एचआईवी पॉजिटिव होने की वजह से दुत्कार दिए गए छह लड़कों की संगीतमय फिल्म है, जिसमें उनकी जीवन यात्रा को दर्शाया जाएगा। इसी प्रकार 'क्यूं?' फिल्म ऐसी लड़की की कहानी है जो अपने ही परिवार में यौन शोषण का शिकार होती है। 'ख़ुशी' एक उदास लड़की की कहानी है, जो अपने जीवन में खुशियां लाने का रास्ता तलाशती है। 'टूट ता तारा' एक कचरा बीनने वाली लड़की और एक स्कूली छात्रा की खूबसूरत दोस्ती पर आधारित फिल्म है। इसी प्रकार 'जिंदगी से जंग' एक ऐसे गांव की कहानी है, जहां बहुत ही कम उम्र में लड़कियों एवं लड़कों की शादी करा दी जाती है। 'थेम्बे थेम्बे टाल सचे' एक मां और बेटे की खूबसूरत कहानी है, जिन्हें ईट के भट्टे में काम करते हुए कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

रेज आशा की एक किरण एनजीओ के बारे मेंः
एनजीओ रेज आशा की एक किरण द्वारा राजस्थान में एचआईवी संक्रमित एवं इससे प्रभावित बच्चों का इलाज व देखभाल की जाती है और उन्हें अन्य आवश्यक सहयोगी सेवाएं प्रदान की जाती है। वर्ष 2010 में शुरू हुआ यह एनजीओ समय के साथ तथा समान सोच वाले व्यक्तियों के प्रयासों से और अधिक मजबूत होता जा रहा है। मात्र दो बच्चों की देखभाल के साथ शुरू हुए इस एनजीओ द्वारा अब 50 बच्चों की देखभाल की जा रही है। यहां एचआईवी पॉजिटिव बच्चों को स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी सहायता उपलब्ध कराने के लिए दो घर हैं।

फिल्म्बग मुंबई के बारे में:
फिल्म्बग नमिता प्रेमकुमार एवं कपिल मट्टू द्वारा शुरू की गई चैरिटेबल पहल है। कम अवसर प्राप्त बच्चों की सहायता के उद्देश्य से इसकी शुरूआत की गई थी। इसके द्वारा 'विद अ परपज' फिल्ममेकिंग वर्कशॉप्स के जरिए के साथ सुविधाओं से वंचित बच्चों को प्रोफेशनल फिल्म मेकिंग सिखाई जाती है, जिसे सीखना अत्यंत महंगा कौशल माना जाता है।